निष्पक्ष टुडे ब्यूरो रिपोर्ट
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में महायोगी गुरु गोरक्षनाथ योग संस्थान एवं गोरखनाथ मन्दिर गोरखपुर की तरफ से आयोजित ऑनलाइन सप्ताहिक योग शिविर एवं शैक्षिक कार्यशाला के तृतीय दिवस में ‘कोरोना महामारी में प्राणायाम की प्रासंगिकता’ इस विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में गोरखपुर के जाने-माने योग शिक्षक व प्राकृतिक चिकित्सा के विशेषज्ञ डॉ॰ जयंतनाथ ने कहा की हमारे जीवन यात्रा में जिस प्रकार से कोरोना महामारी ने अप्रत्याशित रूप से उथल-पुथल मचाया, जिसके फलस्वरूप संपूर्ण मानव जीवन संकटापन्न हो गया। ऐसी स्थिति में हमारे ऋषियों महर्षियों की बतायी योगविद्या में उल्लिखित प्राणायाम हमारे जीवन की संजीवनी बन कर हम सब का रक्षक साबित हुआ। प्राणायाम प्राण और आयाम इन दो शब्दों से बना है । प्राण का अर्थ जीवनी शक्ति और आयाम का अर्थ विस्तार है । अर्थात् प्राणायाम के द्वारा हम अपनी जीवनीशक्ति का विस्तार करते हैं।
उन्होंने प्राणायाम के महत्व को बताते हुए कहा कि हमारे शास्त्रों में बताया गया है कि प्राण ही विराट है, प्राण ही सूर्य है, प्राण ही चंद्रमा है और प्राण ही प्रकृति है। इसकी उपासना हमारे लिए अत्यन्त आवश्यक है ।
कोरोना में मुख्य रूप से पांच प्रकार के प्राणायाम बहुत कारगर रहे, जिसमें अनुलोम-विलोम व भ्रामरी प्राणायाम तो विशेष प्रभावी रहे।पोस्ट कोविड मरीजों को भ्रामरी प्राणायाम करने पर अद्भुत लाभ मिला है। शारीरिक व मानसिक दोनों प्रकार की दुर्बलता दूर होने के साथ हीं तनाव व अनिद्रा जैसी समस्याओं से भी निजात मिला है।
उन्होंने बताया कि अनुलोम विलोम प्राणायाम अत्यन्त सरल व सहज प्राणायाम है। इसको किसी भी उम्र के लोग किसी भी अवस्था में कर सकते हैं।प्राणायाम मनुष्य के ऊपर पड़े हुए पर्दे को हटाकर उसे तेजपूर्ण ओजपूर्ण व भयरहित बनाता है तथा उसके अंदर आत्मविश्वास को प्रबल करता है। यह प्राणायाम मन की चंचलता को दूर करता है तथा जो लोग अधीर हो गए हैं, असहाय हो गए हैं उनको सबल और सकारात्मक बनाते हुए अत्यन्त लाभ प्रदान करता है। इसे नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहते हैं। इस प्राणायाम से पोस्ट कोविड व्यक्ति के साथ हीं जिनको संक्रमण नहीं हुआ है, जो लोग अभी तक बचे हुए हैं, वे आगे भी भविष्य में अपनी रक्षा कर सकते हैं ।
उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि कोरोना काल में ऑक्सीजन लेवल कम होने की महान समस्या बनी रही।
ऑक्सीजन की उपलब्धता कम होने से बहुत लोगों ने अपने स्वजनों को खो दिया, बहुत लोग अनाथ हो गए। यदि वे सभी लोग पहले से नियमित प्राणायाम करते रहते तो शायद ऐसी स्थिति ना हुई होती। हमारे ऑक्सीजन लेवल को सामान्य बनाने में भस्त्रिका प्राणायाम तथा अनुलोम विलोम प्राणायाम बहुत हीं महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ। ये दोनों प्राणायाम ऑक्सीजन लेवल को सामान्य करते हैं और फेफड़े में ऑक्सीजन धारण क्षमता का विस्तार करते हैं । प्राणायाम की विशेषता है कि जो लोग शारीरिक रूप से अक्षम है, जो अन्य योगासन क्रियाओं को नहीं कर सकते हैं, वे लोग भी इसको सरलता से करते हुए रोगों से मुक्ति पा सकते हैं । आज देश व प्रदेश की सरकारें भी अधिक से अधिक लोगों तक योग व प्राणायाम के लाभ बताकर लोगों को उससे जोडने का कार्य कर रहीं हैं। यदि सभी देशवासी इसका नियमित अभ्यास करें तो कोरोना की तीसरी लहर को काफी हद तक रोका जा सकता है।
उन्होंने बताया कि जो लोग अपने को कुछ स्वस्थ अनुभव करते हों उनको कुंभक क्रिया का अभ्यास अधिक करना चाहिए।कुंभक क्रिया के द्वारा अधिक समय तक ऑक्सीजन को शरीर के अंदर रोकने से शरीर में विद्यमान कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचता है और उनको स्वस्थ बनाता है। इसके साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है।प्राणायाम करने वाला व्यक्ति न केवल रोगों से मुक्ति पाता है अपितु बुढ़ापे जैसी समस्या को भी कुछ वर्षों तक रोक कर अपनी आयु को चिरकाल तक स्थिर कर सकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. यू पी सिंह ने किया तथा संचालन एवं सभी का आभार ज्ञापन कार्यशाला प्रभारी व श्री गोरक्षनाथ संस्कृत विद्यापीठ के प्राचार्य डॉ॰ अरविंद कुमार चतुर्वेदी ने किया।
योग शिविर में अन्य दिवसों की तरह प्रातः 6:00 से 7:00 बजे तक एवं सायं 6:00 से 7:00 तक योगासन व प्राणायाम का अभ्यास योगाचार्य शुभम द्विवेदी ने ऑनलाइन माध्यम से कराया।
कार्यक्रम का सजीव प्रसारण जूम एप के साथ हीं गोरखनाथ मन्दिर के फेसबुक पेज, ट्विटर अकाउण्ट तथा यूट्यूब पर हुआ ।