पी.एफ.आई-सीमी: एक ही सिक्के के दो पहलू

नामक बेब साइड में छपी एक रिपोर्ट ने सीमी को गैरकानून गतिविधि कानून निषेध के तहत 1967 एक इस्लामिक चरमपंथी संगठन करार दिया जो इसे इस्लामिक भूमि में बदलकर भारत की मुक्ति की वकालत करता है। सीमी, जोकि एक युवा कट्टरवादी छात्र संगठन है। भारत के खिलाफ जिहाद का ऐलान कर चुका है, जिसका मुख्य उद्देष्य सभीको इस्लाम धर्म अपनाने पर मजबूर करना है और दार-उल-इस्लाम इस्लाम की धरती की स्थापना करना । रिपोर्ट आगे दर्शाता है कि सीमी काडर ओसमा बिन लादेन को इस्लाम का सच्चा आस्तिक मानता है और उसे इस्लाम का सच्चा प्रतीक मानते हैं । प्रख्यात सीमी नेता सफदरननागो ही के अनुसार ना तो ओसामा बिन लादेन आतंकवादी है और ना ही जम्मू कश्मीर भारतका अभिन्न अंग है केवल मध्यप्रदेश में प्रतिबंध के पहले सीमी काडरों के ख़िलाफ़ धार्मिक उन्माद फैलाने के विभिन्न जिलों में ३३ सेअधिक मामले दर्ज है जबकि समूह के ख़िलाफ़ ४९ से अधिक मामले दर्ज हैं। संगठन भारत में पहले से प्रतिबंधित है लेकिन पी.एफ.आई के कारण यह माना जाए कि यह पुनः अपनी शक्ति प्राप्तकर सकताहै । पी.एफ.आई जो कि एक खिलाफ सैकड़ों मामले दर्ज हैं जोकिसीमीसेमेल चरमपंथी संगठन है । सीमी के ही नक्से कदम पर चल रहा है । हिंसा, आतंक, जबरन धर्मांतरण, राजनीतिक हत्या दंगे भड़कना इत्यादि के कारण पी.एफ.आई के ख़िलाफ़ सैकरो मामले दर्ज जो कि SIMI से मेल खाता है।और अधिक मात्रा में है और पूरे देश में फैला हुआ है।
सीमी और पी.एफ.आई में समानता इस बात से आसानी से स्थापित की जा सकती है कि पी यफ आइ और उनके मोर्चे का आधार सीमी रहा है। उदाहरण के तौर परअब्दुल रहमानी पूर्व पी.एफ.आई अध्यक्ष, एवं पूर्व अखिल भारतीय एस.डी.पी.ए. अध्यक्ष अंसारपूर्ण रूप से सीमी कार्यकत्र्ता एवं सी मी. केरल राज्य अध्यक्ष, सन 1982-1984 तक थे प्रोफेसर पी. कोया-पूर्वउपाध्यक्ष पी. एफ.आई, एक प्रतिबद्ध सीमी कार्यकर्त्ता अंसार पूर्ण रूप से सिमी कार्यकर्त्ता सन् 1978-79 के बीच थे। पी. अहमद शरीफ उर्फ शरीफ करंथुर पूर्व एस.डी.पी. आईराष्ट्रीय सचिव सी.मी. के सक्रिय सदस्य 1970 सेथेऔर 1987 में प्रतिनिधि परिषद के सदस्य थे। शाहिद खोट-महासचिव, अखिलभारतीय इमामपरिषद पी.एफ. सी.मी. के अखिलभारतीय महासचिव सन् 1984 मै थे और करुणा फाउंडेशन, अध्यक्ष सीमी समर्थक से संबंध रखते थे ई. अबुबाकर पूर्व पी. एफ. आई यह सीमी कार्यकर्ताथे । आई कामौलवीविंग एक के सूची बहुत लंबी है और संदेश भी बिल्कुल साफ है। सीमी के 1977 में शुरूआत बाद से ही पी.एफ.आई ने भावात्मक रूप से मुस्लिम उत्पीड़न कार्ड खेलना शुरू कर दिया था जिससे वो मुस्लिम समुदाय को अपने जाल में फँसा सके।पी. एफ.आई द्वारा ही इसी तरह की राजनीति अपनाई जा रही है। खासकर मुस्लिम युवा के बीच सीमी हिंदुत्व को रोकने के लिए सिख लिए ईसाई एवं इस्लामको साथ लाने की राजनीति को ईजाद कर लिया था । इसी प्रकार पी.एफ.आई. ईसाई एवं दलित को एक कर अपने आर.एस.एस रोकने के एजेंडा को फलीभूत कर रहा है। इस्लामिक शासन स्थापित करने का सीमी का मुख्य एजेंडा है जिसे मुस्लिम समुदाय द्वारा झेल रहें सभी परेशानियों का एक मात्र ईलाज बताया गया है। पी.यफ आइ भी दूसरी तरफ ख़लीफ़ा शाशन द्की स्थापना को सभी मुस्लिम द्वारा झेल रहे परेशानियों का हल बताया है । टर्की आधारित समूह आई.एस.आई और पी.एफ.आई के बीच अच्छे संबंध को उपर दिए गए तथ्यों के साक्ष्य के रूपमें देखा जा रहा है। आई. यस यस एक टर्की आधारित अलकायदा से संबंधित एक परोपकारी संगठन है जो मानवाधिकारों और मानवीय राहत के लिए कार्य करता एक गुप्तउग्रवादी तंत्र विकसित किया था जिससे हिंसकगतिविधि को अंजाम दिया जा सके । पी.एफ.आई के भी इसी राह पर अपने विरोधियों से पार पाने के लिए मारकदस्ता का गठन किया है ।
सीमी ने हजारों मुस्लिम की जिंदगी को बर्बाद किया है। बहुत से सालों से जेलों में बंद हैं। जब वह जेल से बाहर आएँगे उनका भविष्य अंधकारमय और अनिश्चित होगा । बिडम्बना से सीमी के शीर्ष नेताओं ने अपने पैसों के बल पर गोपनीय ढंग से क़ानून में कमियाँ उजागर कर खुद को बचाने में कामयाब हो गए पी. एफ. आइ. भी उसी राह पर चल कर हजारों मुस्लिम युवाओं को भर्ती किया है । प्रशासन के तरफ से पी. यफ.आइ. के खिलाफ कोई भी सुधारात्मक कदम बहुत से पी. एफ.आई काडरो को अंदर भेजने में एक ठोस कदम होगा। कुछ जेलों के अंदर है जैसे की किकन्नूर आई.एस.आई.एस का मामला, टी.जे.जोसफ के हाथ काटने के मामले में जब कि पी. एफ.आई के निम्नस्तर के काडर जेल के अंदर हैं, इसके शीर्ष नेतृत्व आरामदायक जिंदगी बिताने के साथ-साथ सभी तरहका आनंद ले रहे है। यह सही समय है जब कि पी.एफ.आई के बुरे उद्देष्य को गौर से देखे और सीमी जैसे स्थिति की पुनरावृत्ति से बचने के लिए पी.एफ.आई पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध का समर्थन किया जाए।

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